शिरडी यात्रा के दौरान एक बहुत ही मजेदार किस्सा हुआ जो आज भी याद करती हूँ तो हँसी आ जाती है। हुआ यह कि हम यानि कि मैं और मेरी बहनें मनमाड स्टेशन पर ट्रेन का इंतज़ार कर रहे थे। सब एक पेड़ के नीचे बैठे हुए थे ढेर सारे सामान के साथ और ठंडी-ठंडी हवा खा रहे थे। हमारे पास कुछ और काम तो था नहीं बस टाइम पास करने के लिए आते जाते लोगों को देख रहे थे और अपनी बातें कर रहे थे। सामने ही रेल की पटरी थी, वहाँ एक लड़का झाड़ू मार रहा था। देखने में अच्छा-खासा था, कपड़े भी एकदम बढ़िया से पहने हुए थे। किसी भी तरह से वो सफाई कर्मचारी नहीं लग रहा था।
अब मेरी बहन है एकदम स्ट्रैट फॉरवर्ड , उसे हर बात का कारण जानने की बहुत उत्सुकता रहती है। उसने मुझे इशारे से उस लड़के को दिखाया और पूछा...... तुझे क्या लगता है यह लड़का असली में सफाई कर्मचारी है या इसे सजा मिली है पटरी साफ़ करने की? हो सकता है इसने कुछ गलत किया हो और उसी की सजा के तौर पर यह झाड़ू मार रहा हो, तुझे क्या लगता है बोल?
मैंने कहा शक्ल से तो यह झाड़ू मारने वाला नहीं लग रहा मुझे, हो सकता है कोई और बात हो। हम दोनों बहनें काफी देर से उसे देखकर समझने की कोशिश कर रहे थे कि आखिर माज़रा क्या है। वहीं रेलवे ट्रैक पर एक और सज्जन थे जो उस लड़के से कुछ बात कर रहे थे, जैसे ही वो प्लेटफार्म की तरफ आए जहाँ हम सब बैठे थे, उत्सुकतावश मेरी बहन ने उन्हें रोककर पूछ लिया......... अंकल वो जो लड़का सामने झाड़ू मार रहा है वो सफाई कर्मचारी है या उसे सजा मिली है सफाई करने की?
वो अंकल हँसने लगे, बोले क्यों क्या हुआ...... बहन ने भी बोल दिया....देखने में ठीक ठाक है और कपड़े भी अच्छे पहने हैं, इसलिए लग नहीं रहा कि वो सफाई वाला होगा।
अंकल बोले..... बेटा वो सफाई कर्मचारी ही है और हँसते हुए चले गए।
अब उन अंकल ने जाकर उस लड़के को यह बात बता दी। तब से वो लड़का बार-बार हमारी तरफ देखा जाए। फिर सफाई करने के बाद तो वो सीधा प्लेटफार्म पर ही आ गया और बार-बार कभी इधर तो कभी उधर फिरने लग गया। कभी वो देखता हमारी तरफ तो कभी हम। बस इसी देखा देखी में 2 घंटे कैसे बीत गए पता ही नहीं चला। लेकिन मजा बड़ा आया। आज भी मैं और मेरी बहन उस किस्से को याद करते है तो बहुत हँसते हैं।
चलो कल मिलते हैं कुछ और नए किस्सों के साथ।
❤सोनिया जाधव
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